Welcome to Vedguru Ji Yagya Special Services
At Vedguru Ji Yagya Special Services, we offer a sacred and time-honored tradition to bring peace, harmony, and prosperity into your life. Our Yagya ceremonies are designed to help you achieve your goals, overcome obstacles, and experience spiritual growth. With a team of experienced priests and a deep commitment to tradition, we bring the sacred rituals of Yagya to your doorstep.
Services Name List
यज्ञ दो प्रकार के होते है-
1.श्रौत
2. स्मार्त।
श्रौत यज्ञ :- श्रुति प्रतिपादित यज्ञों को श्रौत यज्ञ कहते है,
श्रौत यज्ञ में केवल श्रुति प्रतिपादित मंत्रो का प्रयोग होता है।
और
स्मार्त यज्ञ :- स्मृति प्रतिपादित यज्ञो को स्मार्त यज्ञ कहते है।
स्मार्त यज्ञ में वैदिक पौराणिक और तांत्रिक मंन्त्रों का प्रयोग होता है।
वेदों में अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन मिलता है।
किन्तु उनमें पांच यज्ञ ही प्रधान माने गये हैं
वेदों में श्रौत यज्ञों की अत्यन्त महिमा वर्णित है। श्रौत यज्ञों को श्रेष्ठतम् कर्म कहा है ……..
1. स्मार्त यज्ञः- विवाह के अनन्तर विधिपूर्वक अग्नि का स्थापन करके जिस अग्नि में प्रातः सायं नित्य हवनादि कृत्य किये जाते है। उसे स्मार्ताग्नि कहते है। गृहस्थ को स्मार्ताग्नि में पका भोजन प्रतिदिन करना चाहिये।
2. श्रोताधान यज्ञः-
दक्षिणाग्नि विधिपूर्वक स्थापना को श्रौताधान कहते है। पितृ संबंधी कार्य होते है।
3. दर्शपौर्णमास यज्ञः-
अमावस्या और पूर्णिमा को होने वाले यज्ञ को दर्श और पौर्णमास कहते है। इस यज्ञ का अधिकार सपत्नीक होता है। इस यज्ञ का अनुष्ठान आजीवन करना चाहिए यदि कोई जीवन भर करने में असमर्थ है तो 30 वर्ष तक तो करना चाहिए।
4. चातुर्मास्य यज्ञः-
चार-चार महीने पर किये जाने वाले यज्ञ को चातुर्मास्य यज्ञ कहते है इन चारों महीनों को मिलाकर चतुर्मास यज्ञ होता है।
5. पशु यज्ञः-
प्रति वर्ष वर्षा ऋतु में या दक्षिणायन या उतरायण में संक्रान्ति के दिन एक बार जो पशु याग किया जाता है। उसे निरूढ पशु याग कहते है।
6. आग्रजणष्टि (नवान्न यज्ञ) :-
प्रति वर्ष वसन्त और शरद ऋतुओं में नवीन अन्न गेहूॅं, चावल से यज्ञ किया जाता है उसे नवान्न कहते है।
7. सौतामणी यज्ञ (पशुयज्ञ) :-
इन्द्र के निमित्त जो यज्ञ किया जाता है उसे सौतामणी यज्ञ कहते हैं । यह यज्ञ 5 दिन में पूरा होता है ।
8. सोम यज्ञः-
सोमलता द्वारा जो यज्ञ किया जाता है उसे सोम यज्ञ कहते है। यह वसन्त में होता है यह यज्ञ एक ही दिन में पूर्ण होता है। इस यज्ञ में 16 ऋत्विक ब्राह्मण होते है।
9. वाजपेय यज्ञः-
इस यज्ञ के आदि और अन्त में वृहस्पति नामक सोम यग अथवा अग्निष्टोम यज्ञ होता है यह यज्ञ शरद रितु में होता है।
10. राजसूय यज्ञः-
राजसूय यज्ञ करने के बाद क्षत्रिय राजा समाज में चक्रवर्ती की उपाधि को धारण करता है।
11. अश्वमेघ यज्ञ:-
इस यज्ञ में दिग्विजय के लिए (घोडा) छोडा जाता है। यह यज्ञ दो वर्ष से भी अधिक समय में पूर्ण होता है। इस यज्ञ का अधिकार सार्वभौम चक्रवर्ती राजा को ही होता है।
12. पुरूष मेघयज्ञ:-
इस यज्ञ की पूर्णाहुति चालीस दिनों में होती है। इस यज्ञ को करने के बाद यज्ञकर्ता गृह त्यागपूर्वक वान प्रस्थाश्रम में प्रवेश कर सकता है।
13. सर्वमेघ यज्ञ:-
इस यज्ञ में सभी प्रकार के अन्नों और वनस्पतियों का हवन होता है। यह यज्ञ तैंतीस दिनों में पूर्ण होता है।
14. एकाह यज्ञ:-
एक दिन में होने वाले यज्ञ को एकाह यज्ञ कहते है। इस यज्ञ में एक यजकर्ता और सोलह विद्वान होते हैं।
15. रूद्र यज्ञ:-
यह तीन प्रकार का होता हैं रूद्र महारूद्र और अतिरूद्र रूद्र यज्ञ 5-7-9 दिन में होता हैं महारूद्र 9-11 दिन में होता हैं। अतिरूद्र 9-11 दिन में होता है। रूद्रयाग में 16 अथवा 21 विद्वान होते है। महारूद्र में 31 अथवा 41 विद्वान होते है। अतिरूद्र याग में 61 अथवा 71 विद्वान होते है। रूद्रयाग में हवन सामग्री 11 मन, महारूद्र में 21 मन अतिरूद्र में 70 मन हवन सामग्री लगती है।
16. विष्णु यज्ञ:-
यह यज्ञ तीन प्रकार का होता है।
विष्णु यज्ञ, महाविष्णु यज्ञ, अति विष्णु यज्ञ।
विष्णु यज्ञ 5-7-8 अथवा 9 दिन में होता है। महा विष्णु याग 9 दिन में अतिविष्णु 9 दिन में अथवा 11 दिन में होता हैं विष्णु यज्ञ में 16 अथवा 21 विद्वान होते है।महा विष्णु यज्ञ में 33 अथवा 51 विद्वान तथा अति विष्णु याग में 61 अथवा 71 विद्वान होते है। विष्णु यज्ञ में हवन सामग्री 11 मन महाविष्णु यज्ञ में 21 मन अतिविष्णु यज्ञ में 55 मन सामग्री लगती है।
17. हरिहर यज्ञ:-
हरिहर महायज्ञ में हरि (विष्णु) और हर (शिव) इन दोनों का यज्ञ होता है। हरिहर यज्ञ में 16 अथवा 21 विद्वान होते है। हरिहर याग में हवन सामग्री 25 मन लगती हैं। यह महायज्ञ 9 दिन अथवा 11 दिन में होता है।
18. शिव शक्ति महायज्ञ:-
शिवशक्ति महायज्ञ में शिव और शक्ति (दुर्गा) इन दोनों का यज्ञ होता है। शिव शक्ति महायज्ञ यज्ञ प्रातः काल और मध्याहन में होता है। इस यज्ञ में हवन सामग्री 15 मन लगती है। 21 विद्वान होते है। यह महायज्ञ 9 दिन अथवा 11 दिन में सुसम्पन्न होता है।
19. राम यज्ञ:-
राम यज्ञ विष्णु यज्ञ की तरह होता है। रामजी की आहुति होती है। रामयज्ञ में 16 अथवा 21 विद्वान होते हैं इस यज्ञ में हवन सामग्री 15 मन लगती है। यह यज्ञ 8 दिन में होता है।
20 .गणेश यज्ञ:-
गणेश यज्ञ में एक लाख (100000) आहुति होती है। 16 अथवा 21 विद्वान होते है। गणेशयज्ञ में हवन सामग्री 21 मन लगती है। यह यज्ञ 8 दिन में होता है।
21. ब्रह्म यज्ञ (प्रजापति यज्ञ):-
प्रजापति यज्ञ में एक लाख (100000) आहुति होती हैं इसमें 16 अथवा 21 विद्वान होते है। प्रजापति यज्ञ में 12 मन सामग्री लगती है। 8 दिन में होता है।
22. सूर्य यज्ञ:-
सूर्य यज्ञ में एक करोड़ 10000000 आहुति होती है। 16 अथवा 21 विद्वान होते है। सूर्य यज्ञ 8 अथवा 21 दिन में किया जाता है। इस यज्ञ में 12 मन हवन सामग्री लगती है।
23. दूर्गा यज्ञ:-
दूर्गा यज्ञ में दूर्गासप्तशती से हवन होता है। दूर्गा यज्ञ में हवन करने वाले 11 विद्वान होते हैं यह यज्ञ 9 दिन का होता है। हवन सामग्री 10 मन अथवा 15 मन लगती है।
24. लक्ष्मी यज्ञ:-
लक्ष्मी यज्ञ में श्रीसूक्त से हवन होता है। लक्ष्मी यज्ञ (100000) एक लाख आहुति होती है। इस यज्ञ में 11 अथवा 16 विद्वान होते है। या 21 विद्वान 8 दिन में किया जाता है। 15 मन हवन सामग्री लगती है।
25. लक्ष्मी नारायण महायज्ञ:-
लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में लक्ष्मी और नारायण का यज्ञ होता हैं प्रातः लक्ष्मी जी का तथा दोपहर में नारायण का यज्ञ होता है। एक लाख 8 हजार अथवा 1 लाख 25 हजार आहुतियां होती है। 30 मन हवन सामग्री लगती है। 31 विद्वान होते है। यह यज्ञ 8 दिन 9 दिन अथवा 11 दिन में पूरा होता है।
26. नवग्रह यज्ञ:-
नवग्रह यज्ञ में नव ग्रह और नव ग्रह के अधिदेवता तथा प्रत्याधि देवता के निमित्त आहुति होती हैं नव ग्रह यज्ञ में 5 अथवा 7 विद्वान होते। हैं ।
27. विश्वशांति महायज्ञ:-
विश्वशांति महायज्ञ में शुक्लयजुर्वेद के 36 वे अध्याय के सम्पूर्ण मंत्रों से आहुति होती है। विश्वशांति महायज्ञ में सवा लाख (125000) आहुति होती हैं इस में 21 अथवा 31 विद्वान होते है। इसमें हवन सामग्री 15 मन लगती है। यह यज्ञ 9 दिन अथवा 11 दिन मे होता है ।
28. पर्जन्य यज्ञ (इन्द्र यज्ञ):-
पर्जन्य यज्ञ (इन्द्र यज्ञ) वर्षा के लिए किया जाता है। इन्द्र यज्ञ में तीन लाख बीस हजार (320000) आहुति होती हैं अथवा एक लाख 60 हजार (160000) आहुति होती है। 31 मन हवन सामग्री लगती है। इस में 31 विद्वान हवन करने वाले होते है। इन्द्रयाग 11 दिन में सुसम्पन्न होता है।
29. अतिवृष्टि रोकने के लिए यज्ञ:-
अनेक गुप्त मंत्रों से जल में 108 वार आहुति देने से घोर वर्षा बन्द हो जाती है।
30. गोयज्ञ:-
वेदादि शास्त्रों में गोयज्ञ लिखे है। वैदिक काल में बडे-बडे़ गोयज्ञ हुआ करते थे। भगवान श्री कृष्ण ने भी गोवर्धन पूजन के समय गोयज्ञ कराया था। गोयज्ञ में वे वेदोक्त
गो सूक्तों से गोरक्षार्थ हवन गो पूजन वृषभ पूजन आदि कार्य किये जाते है। जिससे गोसंरक्षण गोसंवर्धन, गोवंशरक्षण, गौवंशवर्धन गोमहत्व प्रख्यापन और गोसड्गतिकरण आदि में लाभ मिलता हैं गौयज्ञ में ऋग्वेद के मंत्रों द्वारा हवन होता है। इस में सवा लाख 125000 आहुति होती हैं गोयाग में हवन करने वाले 11 विद्वान होते है। यह यज्ञ 8 अथवा 9 दिन में सुसम्पन्न होता है।
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